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पाठ-5 : घर में मेहमान

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पाठ-परिचय (Introduction)

इस पाठ में हम आज्ञार्थक तथा विधि के वाक्यों (imperative sentences) का प्रयोग कर रहे हैं।  हिंदी में आज्ञार्थक क्रियाएँ बड़ों के लिए अलग हैं।  इन्हें हम आदरार्थ (honorific) बहुवचन क्रिया कहते हैं।  अपने-से छोटे लोगों के लिए अलग क्रियाएँ हैं।

उद्देश्य (Learning Objectives)

 इस पाठ को पढ़ने के बाद आप –

इस पाठ को पढ़ने के बाद आप-

  • आज्ञार्थक के दो रूपों-‘आओ’ और ‘आइए’ का प्रयोग कर सकेंगे;
  • विभिन्न कर्ताओं के दोनों क्रियाओं के साथ विभिन्न रूप बना सकेंगे;
  • अनुमति माँगने या सुझाव देने की विधि की क्रिया ‘करूँ’, ‘करें’ आदि का उपयोग कर सकेंगे;
  • ‘तुम’ के साथ आज्ञार्थक क्रिया ‘जाना’ का प्रयोग कर सकेंगे;
  • संप्रेषण की युक्ति के रूप में ‘कहिए’, ‘सुनिए’, ‘चलिए’, का प्रयोग समझ सकेंगे;
  • प्रोक्ति स्तर पर ‘लीजिए न’ का प्रयोग कर सकेंगे; और
  • ‘करता है’ की क्रिया का प्रयोग विस्तार से सीखेंगे।

मूल पाठ (Main Lesson)

(कपिल कुमार जी और उनकी पत्नी मनोरमा ‘हॉल’ में बैठे हैं।  कपिल कुमार समाचार-पत्र पढ़ रहे हैं।  मनोरमा स्वेटर बुन रही हैं।  उनका बेटा मनोज टेलीविज़न देख रहा है।  बेटी निशा किताब पढ़ रही है।  घंटी बजती है।)

कपिल बेटा मनोज, दरवाजा खोलो।  देखो, कौन है?  

मनोज (दरवाज़ा खोलकर) चाचा जी, प्रणाम।  आइए।  चाची जी, अंदर आइए। 

(कपिल कुमार के मित्र और पड़ोसी प्रकाश और उनकी पत्नी मीरा अंदर

आते हैं।)

कपिल नमस्ते, भाई साहब।  नमस्ते भाभी जी।  आइए, बैठिए। 

रवि नमस्ते कपिल जी।  क्या हाल है?  घर में सब कुशल है?

कपिल आपकी कृपा से सब ठीक है।  आप लोग ठीक-ठाक हैं?

रवि हाँ, अच्छे हैं।  बेटे, तुम कैसे हो? तुम्हारी परीक्षाएँ कब हैं?

मनोज ठीक हूँ चाचा जी।  परीक्षाएँ अगले हफ़्ते से हैं।

मनोरमा आप लोग बातें कीजिए।  मैं चाय लाती हूँ।

मीरा मनोरमा जी, आप बैठिए, चाय छोड़िए।  बात करेंगे।

मनोरमा नहीं-नहीं चाय तैयार है, मैं अभी लाती हूँ।

(मनोरमा अंदर जाती हैं।  मीरा भी उनके साथ जाती हैं।)

रवि सुनिए, कपिल जी।  कल का ‘हिंदुस्तान’ पेपर है आपके पास?

कपिल हाँ, है।  कहिए, कुछ ख़ास बात है?

रवि हाँ, उसमें एक विज्ञापन है।  मकानों के बारे में।  ज़रा अख़बार लाइए।

कपिल ‘जागरण’ भी लाऊँ?

रवि नहीं, सिर्फ़ ‘हिंदुस्तान’ लाइए, कल का ही लाइए।

कपिल (समाचार-पत्र लाकर) यह लीजिए कल का ‘हिंदुस्तान’।  वह विज्ञापन मुझे भी दिखाइए।

रवि यह देखिए विज्ञापन।  मकान अच्छे हैं, दाम भी ठीक है।  आप आवेदन

ज़रूर कीजिए।  (मनोरमा और मीरा अंदर से आती हैं)।

मनोरमा चलिए, चाय पिएँ।  बातें बाद में कीजिए।  भाई साहब चाय दूँ?

रवि हाँ, भाभी दीजिए।  चाय में चीनी मत डालिए।

मनोरमा भाभी जी, यह लीजिए चाय।  बरफ़ी लीजिए।  बहुत अच्छी है।  समोसा लीजिए, नमकीन लीजिए।  यह लीजिए समोसे के लिए चटनी।

मीरा धन्यवाद।  आप भी चाय लीजिए न।

मनोरमा हाँ, लेती हूँ।  पहले आप सब लीजिए।  बेटा, चाय लो।  बरफ़ी भी लो।  

कपिल सुनो, थोड़ी चीनी दो।  ज़्यादा नहीं, बस आधा चम्मच।

मनोज माँ, समोसे के लिए ‘केचप’ चाहिए।  है?

मनोरमा हाँ है।  फ्रि़ज में है।  ‘केचप’ की बोतल लाओ।  हाँ, पानी की एक बोतल भी लाना। 

मीरा भाभी जी, चाय में मज़ा आ गया।  बरफ़ी भी बहुत अच्छी है, समोसे बहुत स्वादिष्ट हैं। 

 

विशिष्ट अभिव्यक्तियाँ

सुनिए   Hello (किसी व्यक्ति का ध्यान आकर्षित करने के लिए literally please listen)

कहिए May I help you (किसी आदमी का विचार जानने के लिए literally please listen)

ठीक व्ज्ञ (आपकी कृपा से सब ठीक है)।  

हाँ -Well, ‘Yes’ इसका सामान्य अर्थ है-लेकिन हम इसका प्रयोग नयी बात जोड़ने के लिए भी करते हैं! जैसे-हाँ, पानी की एक बोतल भी लाना।

सांस्कृतिक टिप्पणियाँ (Cultural Notes)

सांस्कृतिक टिप्पणियाँ

संबोधन 

हिंदी भाषी समाज में हम मित्रों के बच्चों को ‘बेटा’ या ‘बेटी’ के नाम से संबोधित करते हैं।  अपने मित्रों को, ख़ासकर जब उम्र में बड़े हों तो ‘भाई साहब’ से संबोधित करते हैं।  उनकी पत्नी को ‘भाभी’ कहते हैं।  

इस तरह से बच्चे पिता के मित्र को ‘चाचा जी’, उनकी पत्नी को ‘चाची जी’ कहते हैं।

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